Court marriage rules in hindi

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कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी नियम और दस्तावेजों की जानकारी

विवाह एक सामाजिक और कानूनी घटना है जो एक व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना होती है। विवाह को लेकर हमारे समाज में विभिन्न प्रथाएं होती हैं, जिसमें अधिकतर लोग लव मैरिज या अरेंज मैरिज पसंद करते हैं। लेकिन आजकल कोर्ट मैरिज की भी बहुत लोकप्रियता है। इस ब्लॉग में हम आपको कोर्ट मैरिज के नियमों के बारे में हिंदी में बताएंगे।

  • कोर्ट मैरिज क्या होता है?
  • कोर्ट मैरिज करने के लिए योग्यता क्या होती है?
  • कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया क्या है?
  • कोर्ट मैरिज के लिए दस्तावेजों की जरूरत क्या होती है?
  • कोर्ट मैरिज के लाभ क्या होते हैं?
  • कोर्ट मैरिज के नुकसान क्या होते हैं?
  • कोर्ट मैरिज के नियमों का पालन क्यों जरूरी है?
  • कोर्ट मैरिज की फीस क्या होती है
  • कोर्ट मैरिज के लिए समय सीमा क्या होती है?
  • कोर्ट मैरिज की वैधता कितने समय तक होती है?
कोर्ट मैरिज क्या होता है?

कोर्ट मैरिज एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विवाह की तारीख, स्थान और उन दो लोगों के नाम जो विवाह के लिए रुचि रखते हैं, एक अधिकारिक तौर पर दर्ज किया जाता है। यह न्यायालय द्वारा स्वीकृत वैध सूचना होती है और इसे शादी की तारीख तथा स्थान के रूप में स्वीकार किया जाता है।

कोर्ट मैरिज करने के लिए योग्यता क्या होती है?

कोर्ट मैरिज करने के लिए आपको न्यूनतम 18 वर्ष का होना आवश्यक है और आपको विवाह करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति से रुचि जतानी होगी। दोनों व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से इस निर्णय का लेना होता है कि वे एक दूसरे से विवाह करना चाहते हैं।

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया क्या है?

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों से गुजरती है:

  • आवेदन पत्र जमा करना - विवाह के लिए आवेदन पत्र को भरकर सम्बंधित कोर्ट में जमा किया जाता है। आवेदन पत्र में दोनों पति-पत्नियों के नाम, पता, उम्र और विवरण शामिल होते हैं।
  • दस्तावेज जमा करना - विवाह के लिए आवश्यक दस्तावेजों को भी जमा किया जाता है, जो आवेदन पत्र में उल्लिखित होते हैं। ये दस्तावेज शामिल होते हैं: जन्म प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट, आधार कार्ड, पति-पत्नी की फोटो, निवेदन पत्र आदि।
  • समय तय करना - कोर्ट मैरिज के लिए समय और दिन तय किया जाता है। इस दौरान दोनों पक्षों को उपस्थित होना होता है।
  • सत्यापन - दस्तावेजों की सत्यापन के बाद, जज अभिवक्ता दोनों पक्षों से सवाल पूछते हैं जो विवाह से संबंधित होते हैं।
  • पंजीकरण का प्रक्रिया - जब आप अपनी दाखिल ख़ारिज पत्रिका और दूसरे दस्तावेज संग्रहीत कर लें, तो आपको अपने नजदीकी सिविल कोर्ट में जाना होगा। वहाँ, आपको निस्तारित अधिकारी से मुलाकात करनी होगी जो आपके दस्तावेजों की जाँच करेंगे। इसके बाद, आपको एक फार्म भरना होगा जिसमें विवाह की जानकारी शामिल होगी। इसमें नाम, पता, उम्र और शिक्षा के साथ-साथ विवाह की तारीख भी शामिल होती है। इस फार्म के साथ आपको एक फीस जमा करनी होगी।
  • विवाह की जाँच - फार्म भरने के बाद, अधिकारी आपकी जानकारी की जांच करेगा और आपको विवाह दिनांक और समय के बारे में सूचित करेगा। इस दौरान, अधिकारी आपको विवाह के सभी नियमों के बारे में जानकारी देगा।
  • नोटिस देना - जब आपकी विवाह दिनांक तय हो जाती है, तो अधिकारी एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करेंगे। इस नोटिस में आपकी विवाह दिनांक और समय बताए जाएंगे और आपसे सार्वजनिक रूप से निवेदन किया जाएगा कि यदि कोई आपके विवाह के विरोध में हो तो वह उस दिनांक तक अपने विरोध का प्रस्ताव रख सकता है। इसके अलावा, नोटिस में यह भी बताया जाएगा कि क्या आपको या आपके साक्षीदारों को उपस्थित होने की आवश्यकता होगी।
  • उपस्थिति के दिन - आपके विवाह के दिन, आप और आपके साक्षीदारों को अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना होगा। आपको एक साक्षी के रूप में उपस्थित होना होगा जो आपके विवाह को साक्ष्य के रूप में देखेगा।अधिकारी आपसे कुछ प्रश्न पूछ सकता है जैसे कि आपका नाम, पता, उम्र और विवाह करने के लिए कारण। आपको अपने संबंधित दस्तावेज भी जमा करने की आवश्यकता होगी जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र आदि। अधिकारी आपको फिर से विवाह दिनांक और समय बताएंगे और उस दिनांक और समय पर आपको विवाह करने की अनुमति देंगे। विवाह के बाद, अधिकारी आपको विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र देगा जिसे विवाह विवरण रजिस्टर कहा जाता है। यह प्रमाणपत्र विवाह की तिथि, समय, जगह, पति-पत्नी के नाम और पते, शादी के साक्षी के नाम और पते आदि जानकारी से भरा होता है। इस प्रमाणपत्र की एक प्रति आपको दी जाती है जो आपको अनुभव और आवश्यकतानुसार कई जगहों पर जमा करने की अनुमति देती है, जैसे बैंक, पासपोर्ट आवेदन, और सरकारी दस्तावेजों के लिए।
कोर्ट मैरिज के लिए दस्तावेजों की जरूरत क्या होती है?

कोर्ट मैरिज के लिए दस्तावेजों की जरूरत निम्नलिखित होती है:

  • विवाह के लिए आवेदन पत्र
  • उम्र प्रमाण पत्र (जन्मतिथि प्रमाण पत्र)
  • पति और पत्नी के पासपोर्ट आकार के फोटो (Passport Size Photograph)
  • पति और पत्नी के निजी विवरण (जैसे कि नाम, पता, प्रशासनिक कार्यालय, और विवाह से संबंधित सभी जानकारियां)
  • तलाक या विधुरता के प्रमाण पत्र यदि लागू हो
  • शादी के बीच लगाये जाने वाले हिन्दू रीति-रिवाजों के लिए विशेष स्वीकृति के दस्तावेज

यह सूची विभिन्न राज्यों और न्यायालयों के आधार पर भिन्न हो सकती है, इसलिए सर्वोत्तम तरीके से आवश्यक दस्तावेजों की समीक्षा करने के लिए स्थानीय न्यायालय या अधिकारी से परामर्श करना उचित होगा।

कोर्ट मैरिज के लाभ क्या होते हैं?

कोर्ट मैरिज के कई लाभ होते हैं जो निम्नलिखित हैं:

  • संवेदनशीलता: कोर्ट में विवाह करने से आप अपने रिश्ते को आधिकारिक बनाते हैं। इससे आपके रिश्ते में संवेदनशीलता बढ़ती है जो आपके दोनों जीवन के लिए एक बहुमूल्य सम्मान है।
  • अधिकारों की सुरक्षा: कोर्ट मैरिज के माध्यम से आप अपने विवाहित जीवन के लिए अधिकारों की सुरक्षा प्राप्त करते हैं। यह आपके दोनों पति-पत्नी के लिए सुरक्षित भविष्य का आश्वासन देता है।
  • संपत्ति की सुरक्षा: कोर्ट में विवाह करने से आप अपनी संपत्ति की सुरक्षा प्राप्त करते हैं। इससे आपकी संपत्ति के मामलों को संभालने में आसानी होती है जब आपके पास कोई विवाद होता है।
  • नागरिकता का अधिकार: विवाह के माध्यम से आप अपने पति-पत्नी के राष्ट्रीयता के अधिकार का अभिवादन करते हैं। इससे आप दोनों के लिए अपने देश के नागरिक के रूप में सभी अधिकारों का लाभ उठा सकते हैं।
  • सोशल स्टेटस: कोर्ट में विवाह करना सोशल स्टेटस को भी बढ़ाता है। यह आपके समाज में स्थिति को और उच्च करता है और लोगों के सम्मान के लिए भी एक प्रकार से एक सामाजिक स्टेटस साबित होता है। इन सभी लाभों के अलावा, कोर्ट में विवाह करने का एक अन्य फायदा यह है कि इसमें आपको विवाह नोटिस भी दिया जाता है। इसका उपयोग आप अपने बैंक, पासपोर्ट और अन्य आवश्यक दस्तावेजों के लिए कर सकते हैं। अंततः, कोर्ट में विवाह करना एक आधिकारिक प्रक्रिया है जो आपके रिश्ते को एक आधिकारिक दर्जा देती है। इससे आप अपने दोनों जीवन के लिए जीवनसाथी के साथ अपने सम्बन्धों को मजबूत बनाते हैं।
कोर्ट मैरिज के नुकसान क्या होते हैं?

कोर्ट में विवाह करने के बारे में सोचते समय, आपको यह भी जानना जरूरी है कि कोर्ट में विवाह करने के भी कुछ नुकसान हो सकते हैं। कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं

  • खर्च: कोर्ट में विवाह करने के लिए आपको कुछ खर्च करना होगा। इसमें नोटरी फीस, विवाह पंजीकरण फीस, विवाह दर्शन फीस और अन्य फीस शामिल हो सकती हैं।
  • समय: कोर्ट में विवाह करने के लिए, आपको अपने विवाह रजिस्ट्रार को मिलने के लिए समय निकालना होगा। यह आपके काम से दूर जाने का मतलब भी हो सकता है।
  • प्रक्रियाएं: कोर्ट में विवाह करने के लिए आपको कुछ प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। इसमें आपको नोटरी से नोटाइज किया दस्तावेज, शादी दर्शन जमा करना, विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन करना और अन्य कुछ प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं।
  • संदेह: कुछ लोगों को लगता है कि कोर्ट में विवाह करना उनके लिए अनुभव से वंचित हो सकता है। उन्हें इस संबंध में उनके परिवार और मित्रों की भावनाओं को आपके परिवार या मित्रों की भावनाओं के संबंध में, यह एक व्यक्तिगत फैसला होता है जो आपको लेना होगा। कुछ लोगों को लगता है कि कोर्ट में विवाह करना सामान्य नहीं है और इससे उनकी समाज में छठी दृष्टि से देखा जाएगा। हालांकि, वास्तव में, कोर्ट में विवाह करना एक लीगल फॉर्मैट है और इससे आपके सोशल स्टेटस को कोई फर्क नहीं पड़ता है।इसलिए, आपको अपनी भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए अपना फैसला लेना चाहिए। यदि आप अपने साथी से खुश हैं और उन्हें अपने जीवन का साथी बनाना चाहते हैं, तो कोर्ट में विवाह करना एक वैध विकल्प हो सकता है।
कोर्ट मैरिज के नियमों का पालन क्यों जरूरी है

कोर्ट मैरिज के नियमों का पालन जरूरी होता है क्योंकि ये क़ानूनी निर्णय होते हैं और इन्हें पालना आपके विवाह को क़ानूनी तौर पर मान्यता देता है। अगर आप कोर्ट में वैध रूप से विवाह करते हैं तो आपको क़ानूनी रूप से अपने साथी के साथ नाम, संपत्ति, वारसी, और अन्य कई मामलों में जुड़ाव प्राप्त होता है। इसके अलावा, कोर्ट में विवाह करने से आपकी सामाजिक और कानूनी स्थिति में सुधार होता है। कुछ देशों में, वैध विवाह की आवश्यकता होती है जो कि कोर्ट में होना जरूरी होता है। इसलिए, कोर्ट में विवाह करने से आपको समाज में एक निश्चित स्थिति प्राप्त होती है जो आपके जीवन के भविष्य में उपयोगी साबित हो सकती है

कोर्ट मैरिज की फीस क्या होती है?

कोर्ट मैरिज की फीस का मामला देश के विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों के नियमों पर निर्भर करता है। इसलिए, यह फीस एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग-अलग हो सकती है।

कुछ राज्यों में कोर्ट मैरिज की फीस काफी कम होती है जबकि कुछ अन्य राज्यों में यह काफी अधिक होती है। आमतौर पर कोर्ट मैरिज की फीस विवाह के लिए दर्ज की जाने वाली शुल्क से कम होती है।

कुछ राज्यों में कोर्ट मैरिज की फीस 50 डॉलर से भी कम होती है जबकि कुछ अन्य राज्यों में यह 200 डॉलर से भी अधिक होती है। यह फीस विवाह पंजीकरण और अन्य कागजातों के लिए भी होती है।

कोर्ट मैरिज की फीस के बारे में जानकारी के लिए आप अपने राज्य के स्थानीय न्यायालय या नगर पालिका आदि से संपर्क कर सकते हैं।

कोर्ट मैरिज के लिए समय सीमा क्या होती है?

कोर्ट मैरिज के लिए समय सीमा भी देश के विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों के नियमों पर निर्भर करती है। आमतौर पर, कोर्ट मैरिज के लिए एक समय सीमा होती है जो विवाह पंजीकरण के लिए निर्धारित होती है।

अधिकतर राज्यों में, कोर्ट मैरिज के लिए विवाह पंजीकरण के लिए निर्धारित समय सीमा होती है। इसलिए, अगर आप कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं, तो आपको अपने राज्य के न्यायालय या स्थानीय न्यायालय से संपर्क करना चाहिए और उनके निर्देशों का पालन करना चाहिए।

कोर्ट मैरिज के लिए समय सीमा क्या होती है?

कोर्ट मैरिज के लिए समय सीमा भी देश के विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों के नियमों पर निर्भर करती है। आमतौर पर, कोर्ट मैरिज के लिए एक समय सीमा होती है जो विवाह पंजीकरण के लिए निर्धारित होती है।

कुछ राज्यों में, विवाह पंजीकरण के लिए कोर्ट में आवेदन करने की समय सीमा 30 दिन होती है, जबकि कुछ अन्य राज्यों में यह 60 दिन से अधिक होती है। इसलिए, आपको अपने राज्य के नियमों को जानने की जरूरत होगी।

अधिकतर राज्यों में, कोर्ट मैरिज के लिए विवाह पंजीकरण के लिए निर्धारित समय सीमा होती है। इसलिए, अगर आप कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं, तो आपको अपने राज्य के न्यायालय या स्थानीय न्यायालय से संपर्क करना चाहिए और उनके निर्देशों का पालन करना चाहिए।

निष्कर्ष

कोर्ट मैरिज एक संबंध की आधिकारिक और न्यायिक रूप से स्थापित प्रक्रिया है। इसमें अधिकारी के सामने आपके और आपके साथी के विवाह के संबंध में कोई सवाल नहीं रहते हैं। इसके लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जिन्हें आपको समय पर अधिकारी के पास प्रस्तुत करना होता है।

यदि आपको अपने विवाह को न्यायिक रूप से स्थापित करना होता है, तो आपको स्थानीय अधिकारी के पास जाना होगा और अनुसूचित विवाह अधिनियम के अंतर्गत आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इसके बाद, अधिकारी एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करेंगे जिसमें विवाह की तारीख और समय बताए जाएंगे। फिर, विवाह के दिन अधिकारी आपको विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र देगा।

यह प्रक्रिया बहुत ही सरल होती है और इसमें कोई भी संदेह नहीं होता है। यदि आप न्यायिक रूप से अपने संबंध को स्थापित करना चाहते हैं, तो आप अपने स्थानीय अधिकारी के पास जा सकते हैं और इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उनसे संपर्क कर सकते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान ध्यान देने योग्य विवरणों के लिए आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जिसमें आपकी वैधता, आवास का प्रमाण पत्र और विवाह दिनांक शामिल हो सकते हैं। इस प्रक्रिया में कोई खर्च नहीं होता है और आपको निजी तौर पर भी बैंक या नोटरी से संबंधित दस्तावेजों के लिए पैसे खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है। अतः, न्यायिक रूप से स्थापित संबंध का एक अधिकृत रूप से प्रमाणित विवाह द्वारा यह एक सरल और कानूनी तरीका है।

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